ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा में 19 अगस्त से होने वाले मानसून सत्र में आपदा व प्रभावित परिवारों के पुनर्वास से जुड़े सवालों की बौछार होगी। सत्र के लिए अब तक विधानसभा सचिवालय को पक्ष-विपक्ष के विधायकों से 545 प्रश्न प्राप्त हो चुके हैं।
मानसून सत्र के लिए एक सप्ताह का समय शेष बचा है। प्रदेश सरकार ने मानसून सत्र भराड़ीसैंण में कराने का निर्णय लिया है। राजभवन की अनुमति के बाद विधानसभा ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। सत्र 19 से 22 अगस्त तक चलेगा। इसके लिए विधानसभा सचिवालय ने सत्र को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए तैयारियां पूरी कर ली है।
भराड़ीसैंण में सत्र कराने में मौसम भी बन रहा चुनौती
भराड़ीसैण विधानसभा में 19 अगस्त से होना है। इस पर भारी बारिश से जगह-जगह भूस्खलन व प्राकृतिक आपदा की घटनाएं हो रही हैं। सत्र के लिए पूरी सरकार व विधायकों को भराड़ीसैंण पहुंचना है। इसके अलावा अधिकारियों व कर्मचारियों, सुरक्षा बल के जवान भी भराड़ीसैंण जाएंगे। ऐसे में भराड़ीसैंण में सत्र करवाना बड़ी चुनौती है।
22 अगस्त से पहले सत्र कराने की संवैधानिक बाध्यता
विधानसभा के समक्ष 22 अगस्त से पहले सत्र आहुत करने की संवैधानिक बाध्यता है। 22 फरवरी को देहरादून विधानसभा में बजट सत्र आहुत था। इसके छह माह के भीतर सत्र कराने की अनिवार्यता है।
प्रदेश सरकार ही सत्र कराने का समय व स्थान तय करती है। मानसून सत्र भराड़ीसैंण विधानसभा में होना है। इसके लिए हमारी तरफ से तैयारी पूरी है। -ऋतु खंडूड़ी भूषण, अध्यक्ष विधानसभा
सरकार ने भराड़ीसैंण में विधानसभा सत्र कराने का निर्णय लिया है। सत्र वहीं होना चाहिए। खराब मौसम व आपदाओं का हवाला देकर भराड़ीसैंण में सत्र न करना हमें स्वीकार नहीं है। आज पूरा प्रदेश आपदा से ग्रस्त है। विपक्ष की ओर से आपदा प्रभावितों के मुद्दों को सदन में उठाया जाएगा। -यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष